Wednesday 6 September 2017

Happy Republic Day

चलो फिर से इंकलाब करते है
हर नुक्कड़ हर गली पे
भगत सिंह के अरमानों को गुलजार करते है
सेना की शहादत हो या 
किसानों की कुर्बानी
भीम के सपनो को साकार करते है
पैसे से नेता अब ईमान ख़रीदा करते है
पता नहीं लोग जातिवाद में क्यों बाटा करते है
वो नेता ह वो अपना काम किया करते है
तुम अपना जमीर क्यों बेचा करते हो
चलो आज कुछ प्रण करते है
स्वच्छ भारत के लिये दिलो जान करते है
पेड़ को भी संतानों की तरह देखभाल करते है
शिक्षा ओरो को दान करते है
हो कोई भी नारी उसका सम्मान करते ह
वीर जवानों को फिर से नमन करते है
हवाये अपना रुख बदल सकती है
तुम औरो का छोडो अपना सोचो
देश का तस्वीर बदल सकते हो
जय हिन्द जय भारत
C.B.Kumar

ZOO

अंग्रेजों की गुलामी से 
आजाद कितने खुश है हम ,
मगर किसी के गुलामी से भी
कितने खुश है हम ,
शुभाष भगत मंडेला गाँधी के
विचार यहाँ कहा राजनेता से खो जाता है,
आजादी का हक़ सिर्फ इन्शानो का है
सपने खुशिया परिवार सिर्फ इन्शानो का है,
माना की तुम जुर्म नहीं करते
कोई कैद है ये किसी जुर्म से कम है क्या,
आओ तुम्हे भी कैद करता
टिकेट लगता हू
देश का GDP बढ़ाता हू,
तब जाके तुम्हे
jail और zoo अन्तर पता चल जायेगा,
क्या तुम सिर्फ इन्शानो के चहरे पढ़े करते हो
क्या तुम अपने राजा को कैद कर सकते हो
क्या तुम तुम खुद के अन्नाय पे रोष प्रकट करते हो
क्या तुम मंदिर मशजिद बचाने मे जान दिया करते हो
क्या तुम अब भी पशु को देवता समझा करते हो
दोष उनका नहीं जो zoo बनाते है
दोष उनका है जो इन्हें चलाते (हम आप) है
क्या मिलता है तुम्हे गुलामो को देखकर ????
C.B.Kumar

गाँव का सच

जन धन में खाता यहाँ खुलता है 
MGNREGA में खाता यहाँ बिकता है !
जो किसान यहाँ आनाज उगाये 
सरकार से आनाज यहाँ मिलता है !
साहूकारों का खेल आज भी चलता है
समूह हो या KCC 10 % fix रेट चलता है !
मवेशी हो या ना हो LOAN यहाँ मिलता है
NABARD का पैसा पानी की तरह बहता है !
चारपाई पे शिक्षा आज भी राम भड़ोशे मिलता है
ज्ञान का तो पता नही खाने को जरुर मिलता है !
गर्भवती माताओं की चिकित्सा हो या उनका वित पोषण
आगनवारी की सुविधा एक ही आगन मे रहता है !
पैक्स के जीत का उपयोग कुछ इस तरह करता है
LOAN उठाये कोई और कोई और उसे भड़ता है !
इन्द्रा आवास पैसा मिले बाद मे
मगर ज़ेब से पहले लगता है !
मिट्टी मिले किसी और के नाम से
किसे और के दरवाजे पे भड़ता है !
सब भले है सब मिले है
दाग किसी की कहा लगता है
पंचायतीराज कुछ इस तरह यहाँ चलता है !
C . B . Kumar

गुड़मोहर कि आजादी


युद्ध करने पे मज़बूर किया उसने
भारत माँ को तोड़ने का काम किया उसने
अब सब्र नही कर सकता हू
सर कलम कर सकता हूं
सर कलम हो सकता हूं ।
नमन करता हू उन शहीदों
निछावर प्राण जिसने भारत माँ के लिए किये ।
उन शहीदो की आत्मा को क्यों तड़पती हो
अपनों को ही शहीदो का हत्यारा बतलाती हो ।
आजादी आजादी आजादी आजादी
किस तरह की आजादी चाहती हो
बुलंद आवाज देशद्रोहो का करवाना चाहिती हो
शर्म करो शर्म करो
औरो का नही तो
शहीदों को नमन करो ।
देश की एकता को न भंग करो
बचपन की मानसिकता को बस करो
हिंसा हो जहाँ भी तुम उसका विरोध करो
मगर देश द्रोही की तरबदारी बंद करो ।
पहचान बनाने के लिए
देशद्रोहयो का साथ ना लिया करो
चंद नेताओ के लिये
खुद का ईमान बेच दिया करो
देश के विकाश का सोच लिया करो
गरीब मजदुर किसान के लिये बोल लिया करो
आजादी बोलने के बारे में सोच लिया करो
सीमाओं को पार करने से पहले सोच लिया करो
आजादी के नाम पे
नये भारत की परिकल्पना न किया करो  (CB Kumar)

मिथिला वाले भैया

किस्मत भी क्या अजीब
रिस्तों का जाल बुनता है
सोच वो सपने से पड़े
शाख जीवन में भड़ता है
मिथिला से मेरा वास्ता कहा था
मधुरता उस जुबा का पता कहा था
कितना कुछ नहीं सुना आपने
मगर किताबो को कुछ नहीं कहा आपने
अपनी धुन अपनी रवानी में चलते हो
हसीनाओ का दिल
किस अदा से हरते हो
कद कभी उठा नहीं आपका
कद कभी झुका नही आपका
बड़ो को छोटा नही समझा आपने
रिश्तो की कसौटी पद से नहीं तौलते हो
कोई जब हद कर जाये
चुप भी नही रहते हो
बड़ो के लिए आदर देखा हूं
अपनों को लिए प्यार देखा हू
कोन करता है आज तकलुफ इतना
एक पल के लिए ही सही
पास सबके जो आ जाते हो
लोग कुछ ऐसे भी हुआ करते है
टेढ़ी बोली मुँह पे प्यार
समझ नही आता ये सम्मान
ना जाने कितना पढ़ा है इनलोगो ने विज्ञान
हर वक़्त महानता के नशे में रहते है
तारीफ अपनी सुनाने में मशगूल रहते है
शुक्र है भगवन
आप नही हो वैसे इंसान
आज वही तारीफ किया करते है
जो कभी निंदा किया करते थे
भुला मत देना जेहन के चरागों से
काम आयेगा दुनिया बनाने में
जिद पे इतना क्यों अड़ जाते हो
बार बार बहस में क्यों पड़ जाते हो
बड़े अजीब होते है लोग भी
बेवकूफो को अपने हाल पे
क्यों नही छोड़ जाते हो
कई अरमान शायद धूमिल हो गये
पथिक राह में इश्वर हो गए
थाम लिया जब हाथ आपने
रिश्ते वो अमर हो गये ।
मेरे आप में नही बना कभी बात
कभी अल्लाह तो कभी राम
वक़्त के साथ एक धुंध हटता है
अब इन बातों से क्या फर्क पड़ता है
फरेबेदिल का बाजार लगा है जहाँ मे
ये कोन सा दिल आप लाये हो
मंज़िल का पता नही हो ,
राह पे चले आये हो
रिश्तो की कसमकस में
वही भाभी लेकर आये हो
( C.B.Kumar )

Kamal

गुअरजमी और संक्रांति में ही अब गुड़ बिकता है
हाट में अब कोई नही ख़रीदता है ।
दो चार कट्टा से कितना अनाज आ पायेगा
पेट भरेगा बस पढ़ा कहा पाऊंगा ।
पता है बाबा के सराद का कर्जा में
माँ का जेवर गया पांच धुर जमीन भी
लोन निकलवाता हु तूझें पढता हूँ
मगर 10 % पहले कहाँ से लाऊ जो तुझे पढ़ाऊँ ।
बुटन चा गाय खरीद ले जाते है
माँ जब भी गुजरती है उनके घर से I
गौ माता जोर जोर बुलाती है
माँ बुटन चा की तरफ जाना छोड़ दिया ।
फॉर्म भरता हूँ पास होता हूं
5 हजार देने पर ही स्कालरशिप मिलता है ।
अब कुछ बच्चों को पढता हूँ
सरकारी नौकरी की तैय्यारी करता हूं ।
एक दोस्त का बिहार पुलिस में जो हुआ
मैं थोड़ा सा खुश क्या हुआ
घरवालो से लेकर पूरा गांव ताना मारने लगा ।
मेरा भी bssc का एग्जाम आने वाला था
मेरे सपने , मेरे उम्मीद में एक सुनामी आ गया
माँ के जेवर गौ माता 5 धुर ज़मीन सामने आ गया ।
सोचा मुख्यमंत्री को कुछ लीख जाता हूं
जिसने दी जिंदगी उसी के पास जाता हूं ।
अचानक रेडियो से मन की बात कानो में पड़ता है
जिंदगी के होने का अर्थ समझ पड़ता हूँ।
ias और officer भी पकडे गये
मगर नेताओ पे एक भी दाग ना आया ।
आतंकवादी कह के इन्हें बुलाओ
बिच शहर में उन्हें फांसी लगवाओ ।
पुतले जलाने से अब क्या होगा
अब तो बस सरकार गिड़ाओ ।
अरे शहजादे तुम्हरे लिये 100 रास्ते है
मेरा तो एक हैं उसे क्यों बंद करते हो
मैं अगर हार गया तो कोई इस रास्ते पे नहीं आएगा
माथे पे भाड़ उठा उठा कर , बचपन गुम हो जाएगा ।
( C.B.Kumar )

अयोध्या


एक जो बूत तुम तोड़ जाओगे
उससे भव्य कई हम बना लायेगे
क्या तुम मेरे दिल को तोड़ पाओगे
क्या उसमें नया ईश्वर समां पाओगें
अगर खुदा टुटा तुम तो नहीं बना पाओगे
बिखरे बिखरे टुकड़े ही सही
सीने से नहीं लगा पाओगे
ओ राम कहा है
ओ खुदा कहाँ है
जिसका घर टुटा उसका पता कहाँ है
जालिम अभी तक क्यों जिन्दा है
कहर क्यों नहीं अभी तक बरपा है
ओ मेहरबाँ खामोश अब तक
हम खून के पियासे क्यों बनते है
ओ घर है ही नहीं उसका
जिसने बनाया उसका होगा
ऐसा ना हो सियासत के चक्के से
बाबरी मस्जिद मक्का हो जायें
सब हाजी अयोध्या आजाये
पद चिन्ह राम के तुम कहाँ तक खोज पाओगे
रक्त्त के बारिशो सोचो तुम क्या बनाओगे
तुम बना लो तो बना लो शायद
परचम भगवा का लहरालो तो लहरालो शायद
कीमत जीवन का किस तरह चुकाओगे
एक देश मे कितने कानून बनाओगे
फतवे से सियासत कब तक चलाओगे
धर्म के ढेकेदारो को सीने से कब तक लगाओगे
सब जगने लगे हैं अब
आइने से बाते करने लगे है अब
खुदा और राम
एक ही दिल में रहने लगा है अब
धर्म नफरत के समझने लगे हैं सब
C.B.Kumar